शब्दों से नहीं भावों से होता है गुरु का गुणानुवाद – गच्छाधिपतिश्री
जहाज मंदिर में मनाई गई पूज्य गुरुदेवश्री की 40वीं पुण्यतिथि

नाहर टाइम्स@बाड़मेर (राजस्थान)। सौभाग्यवश मुझे 12 वर्ष 5 महिनों तक गुरुदेवश्री का दुर्लभ सानिध्य प्राप्त हुआ। दीक्षा के उपरांत एक-दो माह यदि छोड़ दिए जाएं तो में हमेशा ही गुरुदेवश्री के साथ रहा। मैंने उनकी ध्यान, साधना, दृढ संकल्प, व्याधि में भी पूर्णसमाधि और उनकी चारित्र निष्ठा के दर्शन किए हैं। एसे प्रातः वंदनीय गुरूदेव का गुणानुवाद भावों से ही हो सकता है उसे शब्दों में किया जाना संभव नहीं है। गुरुदेव की 40वीं पुण्य स्मृति पर हमारा बारंबार नमन है।
उक्त आशीर्वचन परम पूज्य गुरुदेव खरतर गच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी महाराजा ने पूज्य गुरुदेव प्रज्ञापुरुष, युगप्रभावक आचार्य भगवंत श्रीजिनकान्तिसागरसूरीश्वरजी म.सा. की 40वीं पुण्यतिथि के अवसर पर उनके समाधधिस्थल जहाज मंदिर की पुण्यधरा पर प्रदान किए। इस दौरान पू. गणिवर्य श्री मयंकप्रभसागरजी म.सा., पू. मुनि श्री मयूखप्रभ सागरजी म.सा. की पावन निश्रा में गुरू गुणानुवाद सभा आयोजित की गई। इस अवसर पर पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपतिश्री ने प्रवचन देते हुए गुरूदेव से जुड़े अनेक संस्मरण सुनाए। उन्होंने गुरुदेव के बाडमेर संघ के साथ आत्मीय संबंधों की व्याख्या करते हुए कहा कि बाड़मेर के उपकारी गुरुदेव हैं। बाड़मेर संघ उनके उपकार कभी भूला नहीं सकता है। आज बाडमेर का संघ परमात्मा के मंदिरों की पूजा करता है तो उसके पीछे गुरुदेवश्री का ही उपकार है।लोहावट में भयंकर व्याधि में श्री संघ और शिष्यों के बहुत बार विनंती करने पर भी उन्होंने वाहन का उपयोग नहीं किया और विहार करते हुए ही जौधपुर पधारकर उपचार करवाया। उन्होंने अंतिम समय का स्मरण करते हुए कहा कि गुरुदेवश्री ने एक दिन पूर्व ही जब सामान्य बुखार आया, तब सकल संघ के समक्ष हित शिक्षा देते हुए फरमा दिया था कि अब मेरा अंतिम समय आ गया है। यह उनकी साधना का परिणाम था। इस अवसर पर पूज्य मुनि श्री मयूखप्रभसागरजी म. ने उनके जीवन का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि यह उनके दृढसं कल्प का ही परिणाम था कि सत्य-बोध होने पर वे संप्रदाय से बंधे नहीं रहे, अपितु परिवर्तन कर लिया। उन्होंने गुरुदेव के चमत्कारों का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि बाड़मेर से जैसलमेर संघ में भाडखा गांव में श्रद्धालुओं की संख्या दोगुनी होने पर गुरुदेव ने अभिमंत्रित चादर द्वारा जो चमत्कार किया था, उसकी स्मृति आज भी बाड़मेरवासियों के मस्तिष्क में छाई हुई है। अंतिम समय में जलती चिता में से आधे घंटे तक हाथ लहराकर दिए गए आशीर्वाद से प्रत्यक्षदर्शी अब तक अभिभूत हैं। इसके पूर्व समारोह का प्रारंभ सुबह सवेरे शोभायात्रा से हुआ। जहाज मंदिर से प्रारंभ होकर शोभायात्रा गांव के सुमतिनाथ मंदिर पहुंची। पुनः आगमन पर गुणानुवाद सभा का प्रारंभ हुआ। इस अवसर पर मुख्य रूप से जैन श्वेतांबर खरतरगच्छ संघ बाड़मेर के अध्यक्ष अशोक धारीवाल, चौहटन संघ के अध्यक्ष गौतमचंद धारीवाल, धलोरीमन्ना संघ के अध्यक्ष गौतमचंद सेठिया, बालोतरा/बाडमेर संघ के अध्यक्ष गौतमचंदजी बोथरा, बालोतरा खरतरगच्छ संघ के अध्यक्ष अमृतलाल कटारिया, सेतरावा संघ के भंवरलाल लोढ़ा, कुशल वाटिका के कोषाध्यक्ष बाबुलाल टी. बोथरा, उपाध्यक्ष रतनलाल सखलेचा, जसोल के अध्यक्ष भंवरलाल बोकड़िया, सिणधरी के लालचंद मंडोवरा, बाड़मेर के पुखराज भंसाली सहित अन्य जिनशासन रत्नों का श्री जिनकान्तिसागरसूरि स्मारक ट्रस्ट की ओर से आत्मीय बहुमान किया गया। इस अवसर पर रौनक जैन बाड़मेर ने अपने भावों की प्रस्तुतियां दी। दोपहर में गुरु पद पूजा पढ़ाई गई। इस आयोजन को सफल बनाने के लिये संयोजक बाबुलाल सिंघवी ने बहुत परिश्रम किया। मेले में बाडमेर, चौहटन, धलोरीमन्ना, रामसर, बालोतरा, मांडवला, सिणधरी, सायला, जीवाणा, उम्मेदाबाद, मोकलसर, सिवाना, सेतरावा, जोधपुर तथा जालोर आदि विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु गुरूभक्त सम्मिलित हुए। इस अवसर पर कार्याध्यक्ष द्वारकादास डोसी, उपाध्यक्ष लूणकरण बोथरा, महामंत्री सूरजमल खंडप, गौतमचंद बोथरा, पुरूषोत्तम सेठिया, गजेन्द्र संखलेचा, मांगीलाल संखलेचा, कान्तिलाल गुलेच्छा, रामरतन छाजेड़, बाबुलाल सिंघवी, पारसमल बरड़िया सहित समस्त ट्रस्टीगण उपस्थित थे। वहीं मेले में भी हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही।

इन्होंने लिया प्रमुख बोलियों का लाभ
इस अवसर पर विभिन्न बोलियां भी लगाई गई जिनका लाभ गुरूभक्तों ने लिया। जिसमें गुरुदेव की वासक्षेप पूजा का लाभ श्रीमती टीपूदेवी भूरमलजी बोथरा परिवार बाड़मेर वालों ने लिया। जबकि गुरूदेव के चित्र पर माल्यार्पण का लाभ भंवरलालजी, सोहनराजजी, मांगीलालजी बोकड़िया परिवार जसोल वालों ने लिया। धूप पूजा का लाभ हुकमीचंदजी, रायचंदजी सेठिया परिवार धरोरीमन्ना वालों ने तथा दीप पूजा का लाभ आदमलजी, भगवानदासजी छाजेड़ हस्ते ललितजी छाजेड परिवार बाडमेर वालों ने लिया। इस मौके पर गुरुदेव के चरणों की प्रक्षाल पूजा का लाभ श्रीमती टीपूदेवी भूरमलजी बोथरा परिवार बाड़मेर, वासक्षेप पूजन का लाभ मदनलालजी, भगवानदासजी, मनीषजी संखलेचा परिवार बाड़मेर, पुष्प पूजा का लाभ सोहनलालजी, चिंतामणदासजी छाजेड़ भादरेश, धूप पूजा कालाभ गुरुभक्त परिवार हस्ते दिनेशजी लूणिया तथा दीप पूजा का लाभ अनोपचंदजी, किस्तुरचंदजी लोढ़ा सेतरावा वालों ने लिया।




