संधारा के घरों में भराया आफत की बारीश का पानी
आक्रोशित ग्रामीणों ने सड़क पर किया चक्काजाम

नाहर टाइम्स@संधारा। रविवार रात समूचे अंचल में झूमकर बरसे मेघों ने संधारा गांव की सड़कों को भी जलमग्न कर दिया। जल निकासी के अभाव में गांव के घरों में बारिश का पानी जमा हो गया। जिससे आम जनजीवन भी बुरी तरह प्रभावित हो गया। घरों में पानी भराने से आक्रोशित ग्रामीणों ने गांव की मुख्य सड़क पर चक्काजाम कर दिया।
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सावन के मौसम में आसमान से झमाझम बरस रही इंद्रदेव की कृपा किसी के लिए सुकून और राहत का सबब बन रही है तो कहीं आफत की बारिश साबित हो रही है। लगातार हो रही झमाझम के कारण ग्रामीण इलाकों के हालात ओर भी बिगड़े हुए हैं। आफत की बारीश का शिकार होने वाले क्षेत्रों में भानपुरा विकासखण्ड की ग्राम पंचायत संधारा भी शामिल है जहां रविवार रात से शुरू हुई सावन की झड़ी का सिलसिला सोमवार दोपहर तक निरंतर जारी रहा। आसमान से चले बूंदों के बाणों ने रातभर में गांव की सड़कों तथा निचले इलाकों व बस्तियों को जलमग्न कर दिया। पर्याप्त जल निकासी नहीं होने के कारण बस स्टैंड क्षेत्र के घरों में बारीश से उफनते नालों का पानी घुसना शुरू हो गया। जिससे नाराज ग्रामीणों ने गांव की प्रमुख सड़क पर इकट्ठा होकर चक्काजाम कर दिया। जिससे सड़क पर दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतारें लग गई। ग्रामीणों की मांग थी कि तत्काल जल निकासी की व्यवस्था की जाए ताकि घरों में पानी जमा ना हो। ग्रामीणों के सड़कों पर प्रदर्शन की सूचना मिलते ही जनपद पंचायत भानपुरा की मुख्य कार्यपालन अधिकारी समीक्षा सोनगरा ने पुलिसबल के साथ मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों को समझाइश दी और जाम खुलवाया। उनकी मांग पर तत्काल कार्रवाई करते हुए ग्राम पंचायत सरपंच चांदमल पाटीदार ने निर्देश देते हुए जेसीबी के माध्यम से जल निकासी की व्यवस्था की। इस संबंध में जब जनपद पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी से सवाल किया गया तो वे टालमटोल करके जवाब देने में असमर्थ नजर आई।
15 घंटे से बत्ती भी गुल
तेज बारिश के साथ गांव की बत्ती गुल हो जाने के कारण ग्रामीणों को दोहरा संघर्ष करने पर मजबूर होना पड़ा। रविवार रात करीब 2 बजे से बाधित विद्युत प्रदाय अगले दिन सोमवार शाम 5 बजे सुचारू हो सका यानि भारी बारिश के बीच ग्रामीणों को करीब 15 घंटे अंधेरे की आफत भी झेलने पर मजबूर होना पड़ा। इस पर समस्या ये भी कि इस दौरान ग्रामीणों की तकलीफ़ हल करना तो दूर उसे सुनने व समझने वाला भी कोई जिम्मेदार मौजूद नहीं था।




