स्वार्थ रहित और आत्म उद्धारक प्रेम ही सच्चा प्रेम है – गच्छाधिपति मणिप्रभ सुरीश्वरजी
भक्तिभाव सहित मनाया गया बाईसवें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ का जन्म कल्याण महोत्सव

नाहर टाइम्स@शाजापुर। सूरत (गुजरात) स्थित कुशल कांति खरतरगच्छ जैन संघ के तत्वाधान में संचालित खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिन मणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. के भव्य चातुर्मास पर्व के दौरान नियमित प्रवचनों की श्रंखला जारी है। इसीके अंतर्गत शुक्रवार को बाईसवें जैन तीर्थंकर भगवान श्री नेमिनाथ के जन्म कल्याणक महोत्सव पर गुरुदेव द्वारा विशेष प्रवचन प्रदान किए गए।
गच्छाधिपति ने कहा कि आज श्रावण शुक्ल की पंचमी को अरिहंत परमात्मा श्रीनेमीनाथ भगवान का जन्म कल्याणक दिवस है। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि जिस प्रेम में स्वार्थ न हो या आत्मा के विकास की बात हो वही सच्चा प्रेम है, जिस प्रेम में लेने-देने की बात नहीं हो, वही सच्चा प्रेम होता है। नेमकुमार का प्रेम भवों – भवों का प्रेम था लेकिन राजमति का प्रेम अल्प समय का प्रेम था। जैन धर्म में 24 तीर्थंकर में से दो एसे तीर्थंकर थे जिन्होंने विवाह नही किया था। श्री मल्लीनाथ भगवान एवं श्री नेमीनाथ भगवान। नेमकुमार तीन ज्ञान के धनी थे। उनको मालूम था कि मेरा विवाह नही होना है फिर भी लाखों बारातियों के साथ बारात निकली उनको दुनिया को करुणा की अहिंसा का बोध देना था। राजमति नौ भवों से नेमकुमार का इंतजार कर रही थी दोनो एक दुसरे से सच्चा प्रेम करते थे। नेमकुमार की बारात शाम के समय में गोधूली बेला पर आनी थी और उसी समय पशुओं के आने का समय था। तो राजा के सैनिकों ने निर्णय लिया कि लाखों लोगो की बारात में किसी को तकलीफ नहीं हो इसलिए वही पर अस्थाई बाड़ा बनाकर पशुओं को रोका गया था। इधर पशुओं को ऐसा लगा की हो सकता है की हमारी हत्या कर दी जाए तो सभी पशुओं में चीख – चित्कार होने लगी और उसी समय नेमकुमार की बारात का समय हो गया नेमकुमार ने पशुओं को चीख की आवाज सुनी और सारथी को रथ रोकने का बोलकर सभी पशुओं को मुक्त करने का दे आदेश दिया। उस समय पशुओं के चहरे के भाव पढ़ने और देखने लायक थे इस तरह से नेमकुमार ने पशुओं को छुड़ाया और पुनः घर को लौट गए और गिरनार पर्वत पर पहुंच कर संयम जीवन अपना लिया।आज परमात्मा के जन्म कल्याणक के पावन अवसर और श्रीगिरनार की भाव यात्रा का आयोजन किया गया सम्पूर्ण कार्यक्रम गच्छाधिपति श्रीमणिप्रभसागरजी म.सा. के द्वारा पूरे इतिहास के साथ प्रस्तुत किया गया। इस मौके पर संगीतकार महावीर देसाई के द्वारा नेमीनाथ भगवान के गीतों की भावपूर्ण भक्ति की गई। इस अवसर पर बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित रहे।