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इसलिए शाजापुर में सदा के लिए अमर हो गए “राम”
सदैव गूंजता रहेगा "जब तक सूरज चांद रहेगा - राम जी का नाम रहेगा" का गगनभेदी जयघोष

37वें पुण्य स्मरण पर विशेष प्रस्तुति…
नाहर टाइम्स@शाजापुर (सुनील नाहर)। “नर सेवा ही नारायण सेवा है..और समाज से बढ़ा दूसरा कोई परिवार नहीं” !! इस ध्येय वाक्य को आत्मसात करते हुए जीवन पर्यंत समाज की सेवा में लीन रहने के बाद परहित रक्षा के लिए स्वयं का सर्वोच्च बलिदान भी सहजता से कर देने वाले वाले “रामजी” 37 सालों बाद भी शाजापुरवासियों के ह्रदय में अनंत अमरता के साथ बसे हुए हैं। एसे शाजापुर के “राम” स्व.चांदमलजी की इस वर्ष भाईदूज पर 37वीं पुण्यतिथि है, जिन्हें नगरवासी आज भी भावविभोर होकर नमन करते हैं।
घटना करीब साढ़े तीन दशक पहले की है, जब नगर के समस्त प्रमुख हिंदू त्योहारों का संचालन करने वाली श्री कृष्णा व्यायाम शाला के संचालक “चांदमल रामजी” ने अपना सर्वोच्च बलिदान देकर हमेशा के लिए अमरता को अंगीकार किया था। अतीत के पन्नों पर दु:खद किंतु अमरता की अमिट मिसाल बनी उक्त घटना साल 1988 में 7 नवम्बर को धनतेरस के दिन उस वक्त घटी थी जब नगर की ह्रदय स्थली मीरकलां बाजार स्थित सुगंधी दरवाजे पर पटाखों की एक छोटी सी दुकान लगी हुई थी। धनतेरस के दिन दुकान में अज्ञात कारणों के चलते अचानक आग लग गई और उस आग की लपटों ने मुस्लिम समाज की दो मासूम बच्चियों को अपनी चपेट में ले लिया था। लोगों की आंखों के सामने स्व. इनायत कुरैशी की सात-आठ साल की बच्चियां रजिया और सबीना आग में झुलस रहीं थीं। इस दौरान शाजापुर में संत समान जीवन जी रहे हिंदू समाज के सबसे बड़े कर्म योद्धा “रामजी” संयोगवश घटनास्थल के समीप ही खड़े थे, “रामजी” बिना देर किए बच्चियों को बचाने के लिए आगे बढ़ गए और आग में घिरी बालिकाओं को बचाने का प्रयास करने लगे लेकिन परजीवन रक्षा की इस कोशिश में “रामजी” स्वयं बेहद बुरी तरह घायल हो गए। आग में झुलसने के कारण दोनों बालिकाओं की तो बाद में दु:खद मृत्यु हो गई, वहीं घायल “रामजी” को उपचार के लिए इंदौर के एमवाय अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां अत्यंत कठीन जीवन संघर्ष को सहजता से स्वीकार करते हुए उपचार के दौरान उन्होंने 11 नवम्बर 1988 को भाईदूज के दिन अंतिम सांस लेकर संसार से विदाई ली। इसी दिन उनकी एतिहासिक अंतिम यात्रा नगर में निकली, जो संभवतः शहर की एकमात्र एसी शवयात्रा थी, जिसमें हजारों लोग जाति, मजहब, छोटे – बड़े का भेद भुलाकर भावविभोर होकर शामिल हुए थे और मानव समाज को सेवा का सर्वोच्च संदेश देने वाले अपने प्यारे सनातनी वीर यौद्धा को नम आंखों से अंतिम विदाई देकर लोगों ने उन्हें श्रध्दासुमन अर्पित किए थे। “रामजी” के सम्मान का यही सिलसिला आज भी निरंतर जारी है। आज भी हिंदू समाज के प्रत्येक प्रमुख पर्व – त्यौंहार पर “जब तक सूरज चांद रहेगा – “राम जी का नाम रहेगा”! का गगनभेदी जय घोष उनकी अनंत अमरता का शंखनाद करता सुनाई देता है।

1972 में श्रीकृष्ण व्यायामशाला संचालक के रूप में हुआ था स्व.”राम जी” का नागरिक अभिनंदन
वर्तमान में शाजापुर नगर के समस्त प्रमुख हिंदू त्यौहार सर्व हिंदू उत्सव समिति के माध्यम से आयोजित होते हैं। जिनका मुख्य संचालन धानमंडी स्थित श्री कृष्ण व्यायाम शाला से किया जाता है। श्री कृष्ण व्यायाम शाला की स्थापना साल 1921 में हुई और साल 1945 से नगर के प्रमुख समाजसेवी स्व. “चांदमलजी राम” ने श्रीकृष्ण व्यायाम शाला संचालक का दायित्व संभाला। उन्हीं के सत्प्रयत्नों से 1972 में श्री कृष्ण व्यायाम शाला पंजीकृत हुई। जिसके प्रथम अध्यक्ष शाजापुर के वरिष्ठ चिकित्सक व समाजसेवी डा.रामनारायण सोनी बने। इस ट्रस्ट मंडल के अंतर्गत नगर में होली, दशहरा, रावण वध, कंस वध और डोल ग्यारस आदि सांस्कृतिक पर्वों का आयोजन स्व “रामजी” के पथ प्रदर्शन में प्रारंभ हुआ। शाजापुर में विजयादशमी दशहरा पर्व को भव्यतापूर्ण स्वरूप देने का श्रेय भी “रामजी” को ही जाता है। जिन्होंने अपनी टोली के साथ पैदल और साइकल पर घूम-घूमकर दशहरा और होली जैसे सार्वजनिक आयोजनों के लिए नगरवासियों से धन संग्रह की परंपरा की शुरुआत की थी।

“रामजी” से मिली सेवा की सीख बन गई जीवन का लक्ष्य
पूर्व विधायक पुरूषोत्तमजी चंद्रवंशी, डाॅ.रामनारायणजी सोनी, सूरजमलजी सांकलिया, विरेन्द्रजी व्यास, रूपकिशोरजी नवाब, रामकिशनजी यादव, हेमचंदजी जैन, मदनलालजी यादव, नंदरामजी गवली, जगदीशजी भावसार, यज्ञप्रकाशजी मेहता तथा माणकचन्द बौथरा आदि नगर के अनेक वरिष्ठ समाजसेवी एसे हैं जिन्हें “रामजी” के सानिध्य में समाज सेवा का समर्पित सबक सीखने को मिला और इन लोगों ने अपनी युवावस्था में “रामजी” के साथ काम करते हुए अनेक अनुभव अर्जित किए। जो उन सभी के जीवनकाल की अमूल्य पूंजी रही। पूर्व विधायक पुरुषोत्तम चंद्रवंशी बताते हैं कि राम जी के सानिध्य में मिली समाज सेवा की सीख जीवन का मूल लक्ष्य बन गई और उसी का अनुसरण करते हुए सेवा के संकल्प की यह यात्रा वर्तमान में भी जारी है। “रामजी” की सेवा और समर्पण का यह प्रत्यक्ष प्रमाण ही है कि आज नगर के प्रत्येक मोहल्ले, क्षेत्र और कॉलोनियों में संचालित धार्मिक व सामाजिक आयोजनों में अनेकों युवा उनके आदर्शों का अनुसरण करते हुए समाज सेवा की राह में अग्रसर हैं। सामाजिक क्षेत्र के लोकप्रिय जननायक रहे “रामजी” के प्रति नगरवासियों के अगाध अविरल प्रेम की निशानी के रूप में शहीद बलिदानी का दर्जा देकर नगर के प्रवेश द्वार बस स्टैंड पर उनकी प्रतिमा स्थापित की गई है। जहां प्रत्येक हिंदू पर्व – त्यौहार के अवसर पर समिति के सदस्यों द्वारा ससम्मान उनका स्मरण किया जाता है। इसके साथ ही वर्तमान नगरपालिका परिषद द्वारा नगर के बस स्टैंड का नामकरण भी स्व.चांदमलजी “राम” के नाम पर करते हुए उनकी स्मृति को चिरस्थाई बनाया गया है। जीवनकाल में साल 1972 में दिनांक 19 मार्च को स्व. “रामजी” का भव्य समारोह आयोजित करके नागरिक अभिनंदन किया गया था। जिसमें तात्कालीन नगरपालिका अध्यक्ष डाॅ. बसंती लालजी जैन द्वारा उन्हें अभिनंदन पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया था। उस वक्त के नगर के वरिष्ठ पत्रकार स्व. फूलचंदजी नाहर द्वारा अखबार में प्रकाशित उक्त फोटो समाचार के साथ-संलग्न है। जो बीते समय का गौरवपूर्ण साक्षी है।
“37वें पुण्य स्मरण पर विशेष प्रस्तुति – मंगल – सुनील नाहर (शाजापुर)”



