साढ़े पांच सौ साल पुराने गजलक्ष्मी माता मंदिर पर धूमधाम से मनाया जाएगा दिपोत्सव
गज पर सवार मां महालक्ष्मी की प्रतिमा शाजापुर के अलावा पूरे प्रदेश में कहीं दूसरी नहीं

@मंगल नाहर✍️
नाहर टाइम्स@शाजापुर। नगर के विभिन्न प्राचीन देवस्थलों में शामिल समीपस्थ ग्राम गिरवर मार्ग पर तालाब की पाल किनारे स्थित साढ़े पांच सौ वर्ष प्राचीन श्री गजलक्ष्मी मंदिर भी श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केन्द्र है।
गजराज पर विराजित मां लक्ष्मी की चमत्कारी प्रतिमा पूरे प्रदेश में एकमात्र शाजापुर के इस देवालय में ही स्थित है। जिसने इसकी ख्याति को विशेष बनाया हुआ है। सप्ताह के शुक्रवार सहित प्रतिदिन यहां मां लक्ष्मी के दर्शनों के लिए भक्तों की खासी उपस्थिति रहती है। आज दिपावली पर्व के अवसर पर भी विशेष पूजन और अनुष्ठान के साथ मंदिर में दिपोत्सव पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा और गज पर सवार मां लक्ष्मी के दर्शनों के लिए भक्त बड़ी संख्या में यहां पहुंचेंगे।
मंदिर के पुजारी सुनील गिरी ने बताया कि नगर का श्री गजलक्ष्मी माता मंदिर प्राचीन के साथ विशेष महत्व का देवस्थल है। पूरे प्रदेश में माता गजलक्ष्मी के साथ माता महालक्ष्मी की प्रतिमा एक साथ शाजापुर के अतिरिक्त दूसरे स्थान पर कहीं नहीं है। पुजारी गिरी ने बताया कि पुराण में माता के इस रूप का विशेष वर्णन किया गया है। दिपावली पर्व पर माता का विशेष श्रंगार कर पूजा-अर्चना की जाती है। इसे लेकर मंदिर की भी विशेष साज-सज्जा की गई है। मंदिर परिसर में एक कुआ है साथ ही भगवान श्रीगणेश व भगवान शंकर का प्राचीन मंदिर भी परिसर में स्थित है। अतिप्राचीन इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां माता महालक्ष्मी हाथी पर सवार माता गजलक्ष्मी के साथ यहां विराजित हैं। मंदिर के नियमित श्रद्धालुओं का कहना है कि नगर के नाथवाड़ा क्षैत्र के समीप यह मंदिर पूर्व में ग्राम गिरवर में स्थित था। करीब साढ़े तीन सौ वर्ष पूर्व औरंगजेब के शासन में मंदिर का स्थान परिवर्तित करके हिंदू बाहुल्य नाथवाड़ा स्थित तालाब की पाल पर मूर्ति स्थापित करवाई गई।
दिपावली पर उमड़ती है भक्तों की भीड़
वैसे तो मंदिर में वर्षभर दर्शनार्थी आते हैं किंतु दिपावली के मौके पर यहां भक्तों की विशेष उपस्थिति देखने को मिलती है। घर और प्रतिष्ठानों पर मां लक्ष्मी का पूजन करने के बाद मंदिर में माता के दर्शन-पूजन हेतु देर रात तक भक्तों का तांता लगा रहता है। जिनमें नगर सहित आस-पास के क्षैत्रों से भी श्रद्धालु आते हैं। भक्तों द्वारा दिपावली पर्व के अवसर पर यहां मां महालक्ष्मी की आराधना कर सुख-शांति व समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। वहीं कई भक्त एसे भी हैं जो प्रतिदिन नियमित रूप से मंदिर पर माता के दर्शन के लिए आते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर मंदिर में विशेष पूजन-अनुष्ठान भी करवाते हैं।