पहले बनवा दी मजार अब लीज करवाने में सक्रियता दिखा रहे खनिज अधिकारी
शासकीय अधिकारी की अनूठी कार्यशैली बनी चर्चा का विषय

नाहर टाइम्स@शाजापुर। वैसे तो हर व्यक्ति के लिए अपने धर्म और समाज का हित पहली प्राथमिकता होना मानवीय स्वभाव का ही हिस्सा है और इन संवेदनाओं से कोई भी मनुष्य अछूता है भी नहीं। लेकिन जब यह संवेदनाएं तय मर्यादाओं को लांघकर अनीति का रुप लेते हुए शक्ति का दुरपयोग करने लग जाए तो उस पर नितीगत अंकुश अतिआवश्यक हो जाता है। इसी अंकुश की मांग को लेकर एक शासकीय अधिकारी की विवादित कार्यप्रणाली के विरोध में हिंदू संगठन इन दिनों सड़को पर उतरे नजर आ रहे हैं।
वैसे मामला इतना खास नहीं कि एक अधिकारी की अनीतिपूर्ण कारगुजारी के लिए हिंदू शक्ति को सड़को पर शक्ति प्रदर्शन करना पड़े लेकिन जिस मानसिकता के साथ सरकार के अहम पद पर रहते हुए अधिकारी महोदय अपनी शक्ति का दुरपयोग करने में सक्रियता से जुटे हुए हैं। उस पर अंकुश लगाने और समय रहते सोए हुए कर्णधारो को जगाने के लिए सज्जन शक्ति का एकत्रीकरण आवश्यक है। इसके अलावा बात खास इसलिए भी हो जाती है कि जिन अधिकारी के कंधों पर सरकारी जिम्मेदारी है कि उनकी जानकारी के बिना सरकारी जमींन का एक कंकर भी इधर से उधर नहीं जा सकता उनकी विशेष मेहरबानी के बगैर शासकीय भूमि पर अवैध रूप निर्माण कैसे हो गया। क्षेत्र के कांजा ग्राम की सरकारी बल्डी पर बनाई गई एक मजार के कारण गर्माए इस मामले में हिंदू संगठनों के खुले विरोध के बावजूद मामले की जांच में सुस्ती और इस उदासीनता के विरोध में हिंदू संगठनों का सड़को पर प्रदर्शन इस बात का प्रमाण है कि स्वतंत्र भारत में नीतिगत अधिकारों के लिए अभी भी संघर्ष बाकि है। अन्यथा क्या कारण है कि अखबारों द्वारा प्रमाण सहित सच उजागर करने और मामले में अधिकारी की भूमिका संदिग्ध होने के बाद भी जांच कार्रवाई उस गति से पूरी नहीं हो रही जिस गति से एक आम आदमी के लिए की जाती है। नियमानुसार जांच कार्रवाई में देरी से चिंता मुक्त अधिकारी के बारे में सूत्रों की मानें तो खबर यह भी है कि समाजसेवा के अगले चरण में उनके द्वारा अपने किसी परिचित को क्रेशर मशीन की लीज करवाने की तैयारी भी पूरी सक्रियता से की जा रही है जिसके लिए रातों रात पटवारियों से रिपोर्ट भी बनवा ली गई है। ये लीज होगी या नहीं ये अलग बात है लेकिन एक तरफ हिंदू संगठनों का आक्रोश और दूसरी तरफ संबंधित अधिकारी की अबाध गतिविधियां विचारणीय अवश्य है।