दिवाली के फटाकों से पहले ही बाजारों में खुलेआम बिकने लगी चायना डोर
प्रशासन की चुनावी व्यस्तता का फायदा उठाकर बेखोफी से हो रही खरीद-फरोख्त

शाजापुर@मंगल नाहर। मकर सक्रांति के पर्व में भले ही अभी तीन माह का समय शेष है, लेकिन पतंगबाज अपने शोक को पूरा करने के लिए अभी से सक्रिय दिखाई देने लगे हैं। यही कारण है कि दिवाली के फटाकों से पहले ही बाजारों में पतंग और मांझे की दुकानें सजती नजर आने लगी है। जानकारी के मुताबिक हर साल की तरह इस बार भी प्रतिबंधित चायना डोर की बिक्री धड़ल्ले से होने लगी है, परिणाम स्वरूप दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ गया है। चूंकि इस बार प्रशासन चुनावी व्यस्तताओं में उलझा हुआ है इसी बात का फायदा उठाते हुए बाजारों में चायना मांझे की बैखोफ तरीके से खरीद-फरोख्त की जा रही है, जो कि निश्चिततौर पर आने वाले वक्त में इंसानों और परिंदों की जान पर आफत पैदा करने का कारण बन सकती है।
दिपावली पर्व की शुरूआत के पहले ही आसमान में उड़ान भरने वाली रंग-बिरंगी पतंगों को लेकर बाजारों में दुकानें सजने का दौर शुरू हो चुका है, भले ही पतंग विक्रेता अपने व्यापार को लेकर बहुत ही चिंतित और गंभीर हैं, लेकिन पतंगबाजी के शौकिन अपनी मौज-मस्ती में सभी तरह की अड़चनों को दरकिनार करते हुए पतंगबाजी की तैयारियां करते नजर आने लगे हैं। आसमान को सतरंगी बनाने वाली पतंगों को वहां तक पहुंचाने के लिए मांझे की जरूरत होती है और पतंग के साथ युवाओं ने मांझे की भी खरीदी शुरू कर दी है। अब गौर करने वाली बात यह है कि बाजारों में कारोबारियों द्वारा जिस मांझे की बिक्री की जा रही है, वो वही प्रतिबंधित चायना का मांझा है जिसे प्रशासन द्वारा प्रतिवर्ष उपयोग हेतु प्रतिबंधित कर दिया जाता है क्योंकि यह लोक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं जीवन को जोखिम में डालने वाली सामग्री की श्रैणी में आता है। चूंकि सक्रांति में अभी काफी समय बाकी है और प्रशासन भी इस वर्ष विधानसभा चुनाव निर्वाचन की प्रक्रिया में व्यस्त है इसी बात का फायदा उठाते हुए कारोबारी ना केवल चायना मांझे की बिक्री कर रहे हैं बल्कि अच्छा-खासा स्टॉक भी रखने की तैयारी कर रहे हैं। क्योंकि मांझे को प्रतिबंधित करने के बाद जब कार्रवाई करने के लिए प्रशासनिक अमला सडक़ों पर उतरेगा तब तक सक्रांति के लिए चायना डोर का जमकर विक्रय हो चुका होगा और जानलेवा यह डोर पर्व के दौरान अनहोनी और हादसों का कारण बनने के लिए घर-घर पहुंच चुकी होगी।