किसान का बेटा “करण” बना शाजापुर का पहला पायलट
कहानी एसे धरती पुत्र के सपूत की, जिसने तय किया जमीं से आसमान का सफर

शाजापुर@नाहर टाइम्स। एक उल्लेखनीय और प्रेरणादायक उपलब्धि में शाजापुर के पास ग्राम पिंडोनिया के किसान पुत्र करण शिवहरे माता राजश्री शिवहरे तथा पिता कमलेश शिवहरे शहर के पहले वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस धारक बन गए हैं। एक साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले करण ने कई चुनौतियों को पार किया और पूरे प्रशिक्षण के लिए धन जुटाया। उनकी असाधारण यात्रा दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत की शक्ति के प्रमाण के रूप में कार्य करती है।
शाजापुर के बाहरी इलाके में एक छोटे से गाँव में पले-बढ़े करण ने अपनी स्कूली शिक्षा एमजी कॉन्वेंट हाई सेकेंडरी स्कूल, शाजापुर से की है। वह रोजाना अपने गांव से सार्वजनिक परिवहन द्वारा अप-डाउन करते थे। उन्होंने 2017 में 12वीं कक्षा (पीसीएम) पास की। जिसके बाद उन्होंने नागपुर से एविएशन में डिप्लोमा किया है, साथ ही मुंबई यूनिवर्सिटी से एविएशन में बीएससी किया। जहां से उन्हें पायलट ट्रेनिंग की पूरी प्रक्रिया पता चली। फिर वह आगे की पढ़ाई और पायलट प्रशिक्षण की परीक्षा के लिए दिल्ली चले गए। सभी परीक्षाओं को पास करने के बाद उन्होंने मध्य प्रदेश फ्लाइंग क्लब इंदौर से उड़ान प्रशिक्षण लेने का फैसला किया। लेकिन यह आसान सफर नहीं था और नियति ने करण के लिए कुछ और ही योजना बना रखी थी। दिल्ली से वापस आने के बाद कोरोना दुनिया भर में फैल गया और इसने विमानन सहित कई क्षेत्रों को बुरी तरह प्रभावित किया। कोरोना के कारण करण ने 2 साल घर पर बिताए थे। कोरोना के दौरान, मीडिया विमानन क्षेत्र के बारे में नकारात्मक खबरें दिखा रहा था कि विमानन कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा रहा है क्योंकि एयरलाइंस उन्हें वेतन देने में सक्षम नहीं हैं, करण ने पायलट बनने की अपनी उम्मीदों को कम नहीं होने दिया और इसका असली श्रैय उनके माता-पिता को जाता है जिन्होंने उन्हें पायलट प्रशिक्षण के लिए उन्हें हमेशा प्रेरित किया। साल 2022 उनके जीवन में सकारात्मकता की किरण लेकर आया है। उन्होंने खुद को संभाला और अपने विमानन करियर को जारी रखने का फैसला किया। फिर उन्होंने मध्य प्रदेश फ्लाइंग क्लब, इंदौर की प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन किया। उन्हें उच्च अंक के साथ चयनित किया गया और उन्हें उड़ान प्रशिक्षण के लिए स्थान मिला। करण ने अपना प्रशिक्षण सेसना 172 (एक इंजन) और बीच बैरन जी-58 (मल्टी-इंजन) विमान पर किया है। उन्होंने कैप्टन मंदार महाजन (सीएफआई) मध्य प्रदेश फ्लाइंग क्लब, इंदौर के मार्गदर्शन में 200 घंटे का उड़ान प्रशिक्षण किया। अपने उड़ान प्रशिक्षण के दौरान उन्हें कई उतार-चढ़ाव से गुजरना पड़ा जिनमें वित्तीय समस्या सबसे ऊपर थी। करण के पिता पेशे से एक समर्पित किसान और माँ गृहिणी हैं, जिन्होंने उनमें कड़ी मेहनत और दृढ़ता का मूल्य डाला था। वर्षों की अथक मेहनत के बाद करण ने सफलतापूर्वक अपना पायलट प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा किया और अपना वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस प्राप्त किया। यह न केवल करण बल्कि उनके पूरे परिवार, मित्रजनों व शाजापुर शहर के लिए बहुत गर्व और खुशी का क्षण है। करण की उपलब्धि केवल व्यक्तिगत नहीं है बल्कि यह उन अनगिनत लोगों के लिए आशा का प्रतीक है जो अपनी परिस्थितियों के बावजूद अपने सपनों को हासिल करने की इच्छा रखते हैं। करण की कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को पूरा करने में वित्तीय बाधाओं का सामना करते हैं। यह दृढ़ संकल्प, लचीलेपन और प्रतिकूल परिस्थितियों से उबरने की इच्छा की शक्ति को दर्शाता है। अपने पास उपलब्ध सीमित संसाधनों का उपयोग करके करण ने उस क्षमता का प्रदर्शन किया है जो प्रत्येक व्यक्ति के भीतर निहित है। चाहे उनकी पृष्ठभूमि या वित्तीय स्थिति कुछ भी हो। उनकी उल्लेखनीय उपलब्धि ने शाजापुर के अन्य महत्वाकांक्षी पायलटों के लिए भी दरवाजे खोल दिए हैं। करण की सफलता सरकार और निजी संगठनों को जीवन के सभी क्षेत्रों के प्रतिभाशाली व्यक्तियों के लिए अवसर पैदा करने में निवेश करने के लिए एक शक्तिशाली संदेश भेजती है। करण की उपलब्धि व्यक्तिगत सपनों के पोषण और समर्थन के महत्व का प्रमाण है। उनकी दृढ़ता और अटूट समर्पण न केवल महत्वाकांक्षी पायलटों के लिए बल्कि उन सभी के लिए प्रेरणा है जो महानता हासिल करने का प्रयास करते हैं। एक किसान के बेटे से शाजापुर के पहले कमर्शियल पायलट लाइसेंस धारक बनने तक करण का सफर इस बात का सच्चा उदाहरण है कि कैसे कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प और प्रियजनों के समर्थन के माध्यम से सपनों को हकीकत में बदला जा सकता है।