प्रकृति प्रेमी बनना सिखाती है भगवान की गोवर्धन लीला-अनुजदासजी
भागवत कथा के पांचवे दिन गोवर्धन पूजा ओर अन्नकूट का हुआ आयोजन

नाहर टाइम्स@शाजापुर। भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म के बाद कई राक्षसों और दुर्तामाओं का अंत किया साथ ही इन्द्र आदि देवों का मानमर्दन करके उन्हें उचित-अनुचित का भेद भी बताया। प्रभु की लीलाएं समाज को दिशा देने का उत्कृष्ट माध्यम हैं। गोवर्धन लीला रचने वाले गोपाल ने अपनी एक अंगुली पर विशाल पर्वत को धारण करके उसे जगत पूजनीय बना दिया ये कन्हैया का प्रकृति प्रेम ही है। हमें भी अपने जीवनकाल में एक अच्छा प्रकृति प्रेमी बनकर कम से कम एक पौधा जरूर लगाना चाहिए जो वृक्ष बनकर हमारे जीवन को सार्थक बनाए।
उक्त आशीर्वचन संत अनुजदासजी महाराज ने स्टेशन मार्ग स्थित नहर की पुलिया के समीप आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन शुक्रवार को उपस्थित श्रद्धालुजनों के समक्ष कथा वर्णन करते हुए व्यक्त किए। इस अवसर पर कथा वाचक ने कहा कि जीवन में शांति, सदाचार और सबकुछ अच्छा होने के लिए भगवान का आशीर्वाद होना जरूरी है। ईश्वर का नाम वो महाशक्ति है जो काल की गति और अनहोनी को भी टाल दिया करता है। चाहे कथा में जाओ ना जाओ, चाहे कथा को सुनो या ना सुनो लेकिन अपने ईश्वर पर विश्वास जरूर करना क्योंकि भगवान किसी धन, दौलत के नहीं बल्कि सच्चे भाव के भूखे हैं। कथा के पांचवे दिन धूमधाम सहित नंद महोत्सव मनाकर छप्पनभोग के आयोजन के साथ ही गोवर्धन पर्वत की पूजा भी की गई। इस मौके पर बड़ी संख्या में महिला एवं पुरूषगण उपस्थित थे।
प्रेसक्लब ने किया कथावाचक का स्वागत
कथा महोत्सव के पांचवें दिवस शुक्रवार को प्रेस क्लब शाजापुर के अध्यक्ष दीपक चौहान के नेतृत्व में समस्त पदाधिकारी व पत्रकारों ने महाराज अनुजदासजी का पगड़ी व पुष्पमाला पहनाकर आत्मीय स्वागत किया। इस दौरान कथावाचक अनुजदासजी ने कहा कि पत्रकार समाज की आवाज हैं। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में मानव सेवा करने वाले पत्रकार जगत का समाज भी ऋणी है। कथावाचक ने कहा कि समाज में सुधार के लिए संतों और पत्रकारों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। जिस तरह संत अपनी वाणी से समाज में व्याप्त कुरीतियों को मिटाते हैं उसी प्रकार एक पत्रकार अपनी कलम से समाज को सच और सही दिशा दिखाने का काम करता है।
श्रीकृष्ण-रूक्मणी विवाह कल
कथावाचक संत अनुजदासजी महाराज ने जानकारी देते हुए बताया कि भागवत कथा के छठवें दिवस कल शनिवार को भगवान श्रीकृष्ण और रूक्मणी के विवाह प्रसंग का धार्मिक आयोजन किया जााएगा तथा कथा के अंतिम दिवस कल 23 मार्च रविवार को श्रीकृष्ण-सुदामा चरीत्र का वर्णन किया जाएगा।
