सांसद निधि मिलने के 7 माह बाद भी रोशन नहीं हुआ जैन तीर्थ स्थल
सूचना के अधिकार में उजागर हुआ नगरपालिका का निकम्मापन

नाहर टाइम्स@शाजापुर। नगर के लालघाटी स्थित श्री सिद्धाचल वीरमणि तीर्थ धाम जैन मंदिर क्षैत्र को रोशनी की सौगात देते हुए हाईमास्ट लगाने हेतु सांसद द्वारा 7 माह पूर्व नगरपालिका के खाते में राशि जारी की गई थी। बावजूद इसके आज दिनांक तक इस संबंध में धरातल पर कोई काम नहीं हो पाया है। नगरपालिका के निकम्मेपन की यह सच्चाई इस संबंध में सूचना के अधिकार में प्राप्त जानकारी से उजागर हुई है।
इस संबंध में तीर्थ धाम के प्रमुख ट्रस्टी सुनील नाहर ने बताया कि नगर को नई पहचान देने वाले लालघाटी क्षैत्र में निर्मित वीरमणि तीर्थ धाम मार्ग पर पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था नहीं होने के कारण दर्शन हेतु रात्रि के समय आने वाले श्रद्धालुओं को बेहद समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इस विषय को लेकर क्षेत्रीय सांसद महेंद्रसिंह सोलंकी से जब चर्चा की गई तो उन्होंने बिना देर किए तत्काल इस संबंध में पत्र जारी करते हुए अपने सांसद निधि की मद से 5 लाख रुपए क्षेत्र में हाई मास्ट की सौगात के रूप में प्रदान कर दिए। इस कार्य के लिए शाजापुर नगरपालिका परिषद को कार्य पूर्णता हेतु निर्माण की जिम्मेदारी दी गई और कुछ समय बाद सांसद निधि की राशि भी योजना आयोग से नगरपालिका के खाते में जमा हो गई। किंतु 7 माह से अधिक समय बीत जाने के बावजूद जब इस संबंध में कोई पहल नहीं हुई तो मुख्य नगरपालिका अधिकारी से जानकारी लेने का प्रयास किया गया लेकिन इस बारे में बार – बार चर्चा होने पर भी सीएमओ कोई ठोस जवाब देने में समर्थ नहीं नजर आई। जिसके बाद प्रमुख ट्रस्टी श्री नाहर के द्वारा उचित जानकारी प्राप्त करने हेतु नगर पालिका में सूचना के अधिकार का आवेदन प्रस्तुत करके वस्तु स्थिति की जानकारी मांगी गई। जिसके जवाब में नगर पालिका द्वारा 125 पृष्ठों की जो जानकारी दी गई उसने नगरपालिका के निकम्मेपन की पोल खोलकर रख दी। उक्त जानकारी में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि कार्य के संबंध में निविदा पूर्ण होने के बाद संबंधित ठेकेदार को कार्य आदेश जारी करने हेतु दो बार एग्रीमेंट लेटर जारी किया जा चुका है लेकिन एग्रीमेंट नहीं हुआ है और अभी तक मामला उलझा हुआ ही है। इधर इस संबंध में नगरपालिका उपयंत्री की मानें तो उनका कहना है कि यदि दूसरे स्मरण पत्र के बाद भी एग्रीमेंट नहीं किया जाता है तो टेंडर निरस्त कर दिया जाएगा। बावजूद इसके देखना ये दिलचस्प होगा कि त्यौंहारों के मौकों पर मंदिर दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं को रात के अंधेरे में कितने दिन ओर मुसीबतें झेलना पड़ेगी।
सूचना के अधिकार में सच आया सामने
हाईमास्ट लगने की प्रक्रिया में 229 दिन लंबा समय बीत जाने पर भी जब कोई सार्थक पहल नहीं हुई तब दिनांक 09 अगस्त 2024 को प्रमुख ट्रस्टी सुनील नाहर द्वारा नगरपालिका परिषद में दिए गए सूचना के अधिकार के आवेदन के प्रतिउत्तर में दिनांक 29 अगस्त को जानकारी प्रदान की गई। जिसमें खुलासा हुआ कि लालघाटी स्थित जिस जैन मंदिर पर हाई मास्ट लगाने के लिए सांसद महेंद्रसिंह सोलंकी द्वारा राशि प्रदान की गई थी, कार्य पूर्ण ना होने की स्थिति में 75 दिवस के भीतर इसकी जानकारी मय कारणों के सांसद को नगर पालिका द्वारा प्रदान की जाना थी। किंतु 75 के बजाए 225 दिन बीतने के बाद भी नगरपालिका ने सांसद को विलंब के कारणों से अवगत नहीं करवाया और सांसद इस बात से अनभिज्ञ होकर नगरपालिका के चक्कर में अकारण सामाजिक आक्षेप झेल रहे हैं।
तारीख पर तारीख निकल गई पर नहीं लगा हाईमास्ट
सूचना के अधिकार में और भी कई जानकारियां उजागर हुई है जिसमें यह हकीकत बयां हुई है कि तारीख पर तारीख निकल गई लेकिन हाईमास्ट नहीं लग पाया। सबसे पहले 4 फरवरी 2024 को सांसद महेंद्रसिंह सोलंकी द्वारा सांसद निधि का पत्र जारी किया गया, जिस पर 6 फरवरी 2024 को योजना आयोग ने नगर पालिका को राशि हस्तांतरण सहमति पत्र जारी किया। नगरपालिका द्वारा 13 फरवरी 2024 को डीपीआर तैयार करने के संबंध में विजयराज एंड एसोसिएट को पत्र जारी किया गया। 22 फरवरी 2024 को नगरपालिका पीआईसी संकल्प क्रमांक 418 में हाई मास्ट लगाने की स्वीकृति हुई। 7 मार्च 2024 को समाचार पत्रों में इस संबंध में निविदा प्रकाशित की गई। कार्य संबंध में विभिन्न कंपनियों से टेंडर आने के बाद 3 जुलाई 2024 को पीआईसी संकल्प क्रमांक 482 पर अजय इंटरप्राइजेस को टेंडर प्रदान किया गया। किंतु कार्य आदेश जारी करने हेतु ठेकेदार द्वारा एग्रीमेंट लेटर नहीं बनाए जाने पर दिनांक 24 जुलाई 2024 को सूचना पत्र नगर पालिका द्वारा ठेकेदार को जारी किया गया। जिसका कोई उत्तर न मिलने पर दिनांक 9 सितंबर 2024 को नगर पालिका द्वारा दूसरा व अंतिम सूचना पत्र भी ठेकेदार को जारी किया गया। आज दिनांक तक अंतिम सूचना पत्र का जवाब भी नगर पालिका को नहीं मिल पाया है। जिस पर नगर पालिका उपयंत्री का कहना है कि यदि समय पर अब एग्रीमेंट नहीं किया जाता है तो टेंडर निरस्त कर दिया जाएगा।