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डेढ़ सौ फीट भू-जलस्तर गिरने के साथ बंद हुए जिले के करीब 800 हैंडपंप

भीषण गर्मी में जलसंकट का सामना करने पर मजबूर हुए ग्रामीण

नाहर टाइम्स@शाजापुर। वर्तमान में इंसानी जिस्म झुलसा देने वाली ग्रीष्म ऋतु के प्रचंड प्रकोप के साथ ही जिलामुख्यालय सहित ग्रामीण अंचलों में जलसंकट ने विकराल स्वरूप धारण कर लिया है। गत वर्ष औसत वर्षा होने के बाद भी जलसंरक्षण के प्रति बरती गई लापरवाही के चलते जिले से निकलीं लगभग सभी प्रमुख नदियों का आंचल सूख चुके हैं वहीं बीते करीब डेढ़-दो माह में डेढ़ सौ फीट से अधिक गहराई में जा चुके भू-जल स्तर तथा इसी वजह से बंद हो चुके जिले के करीब 800 हैंडपंपों के कारण स्थिति अब अत्यंत गंभीर होती नजर आ रही है। परिणाम स्वरूप जहां आमजन पेयजल की समस्या से जुझने को मजबूर हो रहे हैं वहीं महिलाओं को कई किलोमीटर दूर से माथे पर रखकर पानी लाना पड़ रहा है।

गौरतलब है कि ग्रीष्मकाल में कालीसिंध, लखुंदर, चीलर सहित अन्य नदियों का जल स्तर बेहद तेजी से घटकर पूरी तरह समाप्त हो चुका है, वहीं इन नदियों के सहारे अपना कंठ तर करने के साथ ही खेतों में सिंचाई करने वाले ग्रामीणों के माथे पर भी चिंता की लकीरें खींचना शुरू हो गई है। जिले में वर्ष 2023 में औसत वर्षा दर्ज की गई थी, जिसके कारण जमीन के जलस्तर में भी अपेक्षित बढ़ोत्तरी हो चुकी थी। बावजूद इसके जलसंरक्षण के प्रति जिम्मेदारों द्वारा गंभीरता नहीं बरती जाने के कारण इस वर्ष नदियों के साथ ही अब अन्य जलाशय भी दम तोड़ते जा रहे हैं। परिणाम स्वरूप जिलामुख्यालय सहित चंद किलोमीटर दूर के ही ग्रामीण क्षैत्रों में लोगों को जीवन रूपी जल की जुगाड़ के लिए खासी मशक्कत करना पड़ रही है। कुछ गांव में तो हालत यह हो चुके हैं कि अपने घरों से लंबी दूरी तय करके महिलाओं को पानी लाने जाना पड़ रहा है। एक तरफ चिलचिलाति धूप, भीषण गर्मी में सूखते कंठ और गर्म हवाओं के थपेड़ों का सामना करके महिलाएं घरों में पानी भरकर ला रही हैं वहीं पुरूष भी कई किलोमीटर दूर से सायकल, बैलगाड़ी तथा अन्य वाहनों के सहारे जल परिवहन करके पेयजल संकट से निपटने की कोशिशों में लगे हुए हैं।

150 फीट तक भू-जल स्तर में आई गिरावट…

जिले में भू-जल स्तर औसत 140 से 150 फीट यानि करीब 45 मीटर से भी नीचे जा चुका है। इस वजह से कुल 799 हैंडपंप बंद हो चुके हैं और गांव की बड़ी आबादी पानी के लिए संघर्ष करने को मजबूर हो रही है। जानकारों की माने तो मानसून सक्रिय होने तक भू-जल स्तर और नीचे जाएगा। इस वर्ष रिकार्डतोड़ गर्मी पडऩे के साथ ही भू-जल स्तर में तेजी से आई गिरावट के कारण हालात असामान्य बनना शुरू हो गए हैं। अब शीघ्र ही यदि मानसून अपना असर नहीं दिखाता है तो अनुमान के आधार पर जल स्तर के 50 मीटर तक पहुंचने की संभावना है।

800 हैंडपंपों का फूला दम…

संबंधित पीएचई अधिकारियों के अनुसार जिले में कुल 4 हजार 925 हैंडपंप हैं। इनमें से कुल 799 हैंडपंप जलस्तर घटने, खराब होने व अन्य कारणों के चलते दम तोड़ चुके हैं। शाजापुर, मोहन बड़ोदिया, कालापीपल व शुजालपुर तहसील के गांवों में तेजी से बंद हो रहे हैंडपंपों के चलते ग्रामीण अंचलों में स्थित चिंताजनक बनने लगी है। क्योंकि यहां के निवासी पेयजल के लिए कुओं और हैंडपंपों पर ही आश्रित हैं। पीएचई विभाग के सर्वे की मानें तो पिछले एक महीने में जलस्तर कई मीटर नीचे चला गया है।

चीलर की हालत पहले ही खस्ता…

समीपस्थ ग्राम सांपखेड़ा के नजदीक चीलर नदी पर बांध बना हुआ है। जहां से क्षेत्र के किसानों को सिंचाई के लिए पानी देने के साथ ही शहरवासियों को पीने के पानी की व्यवस्था मुहैया कराई जाती है। हालांकि इस बार बांध में पूर्ण क्षमता के अनुसार पानी का भराव नहीं हो पाया था लेकिन सिंचाई के लिए किसानों को पानी दिए जाने, बांध से पानी की लगातार चोरी होने के साथ ही वाष्पीकरण के कारण बांध का जलस्तर घटने से वर्तमान समय में बांध में बेहद कम पानी शेष बचा है जिससे डेम में जगह-जगह टीले दिखाई देने लगे हैं।

करीब 300 गांव को मिलती है राहत

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जिले की तीन प्रमुख नदियों से करीब 300 से अधिक गांव को राहत मिलती है। लेकिन इस बार नदी व बांध में पानी की जबर्दस्त कमीं होने के साथ ही भू-जल स्तर धराशाही होने की वजह से इन दिनों ग्रामीणों की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है। इन हालातों को देखकर मानूसन सक्रिय होने तक जून माह गुजारने के लिए सता रही चिंताओं को लेकर ग्रामीणजनों के पसीने भी  छूटना शुरू हो गए हैं।

– इनका कहना है

गर्मी के मौसम में भू-जल स्तर में होने वाली गिरावट के कारण हैंडपंपों में पानी की आवक बंद हो जाती है। जो बारिश के साथ ही फिर से रिचार्ज भी हो जाते हैं। वहीं साधारण रूप से खराब हैंडपंपों को सुधारकर उपयोगी बना दिया जाता है। अभी करीब 800 हैंडपंप बंद हैं जिस कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

– व्ही.के.चौहान
इ.ई. पी.एच.ई.

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