टेंडर होने के 6 माह बाद भी एग्रीमेंट की प्रक्रिया में अटकी सड़क निर्माण की फाइल
(मामला जैन तीर्थ की सड़क निर्माण का) सीएमओ ने कहा एग्रीमेंट के बाद होगा वर्क आर्डर

नाहर टाइम्स@शाजापुर। शहर के लालघाटी स्थित श्री सिद्धाचल वीरमणि जैन तीर्थधाम की मुख्य सड़क टेंडर होने के 6 माह बाद भी निर्माण की बांट जोह रही है। जिम्मेदारों की सुस्ती और विभागीय लेट लतीफी के कारण लंबे अरसे से ठंडे बस्ते में पड़ा सड़क निर्माण का मामला इन दिनों तीर्थ सेवा समिति की तीखी प्रतिक्रिया के बाद सुर्खियों में आया है और मामले में खबरें प्रकाशित होने के बाद नगरपालिका के गलियारे में भी हलचल तेज होती दिखाई दे रही है।

मामले में ताज़ा जानकारी के मुताबिक जिम्मेदारों की निष्क्रियता के चलते टेंडर होने के 6 माह बाद भी सड़क निर्माण की फाइल अभी एग्रीमेंट की प्रक्रिया में ही अटकी हुई है। एग्रीमेंट होने के बाद ही वर्क आर्डर होगा। वर्क आर्डर होने के बाद सड़क निर्माण प्रारंभ हो सकेगा। उक्त जानकारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी भी पांच दिन बीत जाने के बाद तब देने में समर्थ हुए, जब उनसे इस कार्य की वास्तविक स्थिति के बारे में निरंतर संपर्क किया गया। बावजूद इसके धर्म स्थल पर नियमानुसार 300 फीट की सड़क बनाने में अभी तक किन कारणों से नगरपालिका असमर्थ रही, इस सवाल का जबाब आज भी रहस्यमय ही बना हुआ है। चर्चा में सीएमओ का इतना जरूर कहना है कि उक्त सड़क के निर्माण में देरी क्यों हुई बता नहीं सकते लेकिन अब और अधिक समय नहीं बितेगा। शीघ्र ही नियमानुसार विभागीय कार्रवाई पूर्ण करके मंदिर का सड़क निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
6 माह तक सड़क बनाने में विफल नगरपालिका शायद अब हो जाए सफल
विनय ना मानत जलधि जड़ – गए तीन दिन बीत !
बोले राम सकोप तब – भय बिनु होय न प्रीत !!
श्री राम चरित मानस के सुंदर काण्ड की यह चौपाईयां वर्तमान समय में भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी उस युग में थी जब इस चौपाई अनुरूप शिष्टाचार किया गया था। नियम अनुरूप कार्य के लिए बार-बार याचना और धैर्यपूर्ण इंतजार करने पर भी जब अनदेखी की जा रही हो तो कर्तव्य पथ दर्शाने वाली इन चौपाईयों का अनुसरण आवश्यक हो ही जाता है। जैन मंदिर की सड़क निर्माण के लिए भी टेंडर होने के बाद निर्माण के इंतजार में 6 माह गुजारने वाली तीर्थ सेवा समिति द्वारा ठोस समाधान के लिए अब उचित कदम उठाना इसीलिए जरुरी है। यदि अब भी जिम्मेदार इस धर्म कार्य की सुध नहीं लेकर उपेक्षित रैवय्या बरकरार रखते हैं और 6 माह की अपनी विफलताओं को सड़क निर्माण कार्य शुरू करके सफलता में नहीं बदल पाते हैं तो आगे के लिए विचार उनको ही करना है जिनकी जिम्मेदारी है।