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नि: शुल्क शिक्षा अधिकार अधिनियम का मजाक बना रहा राज्य शिक्षा केन्द्र
मध्यप्रदेश प्रांतीय अशासकीय शिक्षण संस्था संघ भोपाल ने लिखा पत्र

नाहर टाइम्स@शाजापुर। राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल द्वारा नि:शुल्क शिक्षा अधिकार अधिनियम में बारबार संशोधन कर गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे परिवार एवं एससी/एसटी परिवार के बच्चों को प्रवेश से वंचित किया जा रहा है।
यह आरोप लगाते हुए मध्यप्रदेश प्रांतीय अशासकीय शिक्षण संस्था संघ भोपाल के प्रदेश अध्यक्ष दीपेश ओझा एवं शाजापुर जिलाध्यक्ष दिलीप शर्मा ने राज्य सरकार और शिक्षा केंद्र को पत्र लिखा है। लिखे गए पत्र में बताया गया है कि भारतीय संसद द्वारा 4 अगस्त 2009 को पारित किया गया नि:शुल्क शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अंतर्गत 6 से 14 वर्ष के बच्चों को कक्षा 1 से 8वीं मुफ्त अनिवार्य शिक्षा अधिनियम बनाया गया है, जिसको लेकर मप्र सरकार ने वर्ष 2011 से आरटीई अधिनियम लागू किया, जिसके तहत प्राईवेट स्कूलों में स्कूल की प्रारंभिक कक्षा की कुल सीटों में से न्यूनतम 25 प्रतिशत सीटों पर नि: शुल्क शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत प्रवेश लेने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। साथ 2014 तक प्रारंभिक कक्षा नर्सरी, केजी, वन, केजी टू और पहली में भी 25 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश होते रहे, लेकिन 2015 में पड़ोस व विस्तारित सीमा में कड़ाई किया गया एवं सिर्फ स्कूल की प्रारंभिक कक्षा को छोडक़र अन्य कक्षाओं में प्रवेश पर रोक लगा दी गई, जिससे कई गरीब, एससी/एसटी के बच्चे प्रवेश से वंचित हो गए। 2016 में ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया प्रारंभ हुई, इससे सीट फिक्स पड़ोस और विस्तारित सीमा को कम किया। शहरी क्षेत्रों के बच्चों को इस अधिनियम का लाभ मिला। ग्रामीण क्षेत्र पड़ोस व विस्तारित सीमा के कारण बाहर हो गए, लेकिन राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल द्वारा 2018 से समग्र आईडी, आधार सत्यापन के द्वारा आरटीई के भुगतान प्रक्रिया प्रारंभ हुई जिससे आज भी 2018 से 2021 के बीच कई बच्चों का तकनीकी समस्या के कारण आधार सत्यापन नहीं हुआ और कई स्कूलों के प्रपोजल पेंडिंग हैं उनका भुगतान रुका हुआ है। जिसके लिए सैकड़ों बार आयुक्त को अवगत कराया गया। नए-नए नियमों से बच्चों को पढ़ाई से वंचित किया जा रहा है। राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल मप्र की जिद ने संसद अधिनियम में संशोधन कर 2022-23 में 5वीं और 8वीं बोर्ड कर बच्चों को फेल कर उन्हें रोक दिया गया। जबकि अधिनियम में साफ -साफ था कि कक्षा 1 से 8 तक किसी को पढ़ाई से रोका नहीं जाएगा। सरकार सभी को पैसा दे रही है सिर्फ हम प्राईवेट स्कूलों के साथ अन्याय कर रही है। साल भर की मेहनत तो साल के अंत में आरटीई का भुगतान होना चाहिए। इस वर्ष 2024 प्रवेश प्रक्रिया में 60 प्रतिशत प्रवेश कम होने का राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल मप्र रिकार्ड बनाएगी, क्योंकि पहले क्लास की कुल सीट से 25: सीट ली जाती थी, किंतु अब प्रारंभिक क्लास में कुल बच्चों की संख्या के 25: के आधार पर प्रवेश होंगे। इस पालिसी से स्पष्ट है कि यह नियम बड़े स्कूलों को शहरी स्कूलों को लाभ दिलाने के लिए बनाया गया है। पत्र में मांग की गई कि किसी भी प्राइवेट स्कूल में किसी भी कक्षा में आरटीई की सीट खाली होने पर उस पर भी प्रवेश प्रक्रिया प्रारंभ की जाए।