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देखरेख के अभाव में जर्जर हो रहा शाजापुर का प्राचीन दरवाजा

शहर के अंदर प्राचीन विरासत को संरक्षण की जरूरत

नाहर टाइम्स@शाजापुर। मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा शाजापुर के किले और उसके साथ शहर के भीतरी हिस्सों में चार मुख्य दरवाजों का निर्माण करवाया गया था। उचित देखरेख और संरक्षण के अभाव में जहां शहर का प्राचीन किला अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है वहीं शहर के भीतर स्थित दरवाजों की दीवारें भी जर्जर होकर हादसों को न्योता देती नजर आ रही है।
उल्लेखनीय है कि शहर में निर्मित मुगलकालीन किले के साथ शहर की भीतरी सुरक्षा के लिए चार दिशाओं में चार दरवाजे बनाए गए थे। ये चारों दरवाजे सोमवारिया बाजार, कसेरा बाजार, मीरकला बाजार एवं किला रोड़ पर हैं। अपने आप में शाजापुर की प्राचीन विरासत कहलाने वाली ये धरोहरें वैसे तो शहरी सौन्दर्यीकरण का भी एक अहम हिस्सा है लेकिन देखरेख के अभाव में वर्तमान में ये दरवाज़े जर्जर और जीर्ण-शीर्ण हो रहे हैं। बीते कुछ दिनों पूर्व कसेरा बाजार स्थित दरवाज़े की दिवार का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त होकर धराशाई हो गया था। हालांकि जर्जर हिस्सा समीपस्थ सेठ हिम्मतमलजी के बाड़े में गिरा और किसी प्रकार की क्षति नहीं हुई लेकिन इसके साथ ही इस दरवाजे पर एक बड़ी दरार भी उभर आई। जिससे दरवाजे के संरक्षण को लेकर प्रश्न खड़ा हो गया है। चूंकि यह दरवाजा पुरातत्व विभाग के अधीन होकर शहर के मुख्य मार्ग में स्थित है जो कि बाजार का निरंतर आवागमन वाला अतिव्यस्ततम हिस्सा है। इसलिए इसके क्षतिग्रस्त होने से जनहानि की भी आशंका बढ़ रही है। क्षेत्रवासियों की मांग है कि दरवाज़े का पुनर्निर्माण किया जाए अथवा इसकी ठोस मरम्मत और संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए।

– इनका कहना है

“शहर के भीतर स्थित चारों दरवाजे शहर की पुरानी पहचान हैं। जिन्हें संरक्षित किया जाना आवश्यक है। काफी मजबूत होने के बावजूद समय के साथ इनकी मरम्मत जरूरी है। इस संबंध में योजना बनाकर शीघ्र इनका सुधार करवाया जाएगा।”

– अरूण भीमावद
विधायक, शाजापुर।

कसेरा बाजार स्थित दरवाज़े का क्षतिग्रस्त हिस्सा।
Nahar Times News

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