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खाद्य मंत्री के प्रभार वाला जिला चल रहा प्रभारी खाद्य अधिकारी के भरोसे…

लावारिस हुई विभागीय व्यवस्था तो बैखौफ हुए मिलावटखौर

@मंगल नाहर✍️

नाहर टाइम्स@शाजापुर। एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री मोहन यादव तक अतिपिछड़े, अविकसित और विकास की अंतिम पंक्ति में अग्रणी शाजापुर जिले की सूरत संवारने के लिए और महानगरीय तर्ज पर इसे विकास की तमाम सुविधाओं से लैस बनाने की सोच लेकर क्षेत्रवासियो में नई उम्मीदें जागने का काम कर रहे हैं…वहीं दूसरी तरफ जन्मजात गढ्ढे से ऊभर नहीं पाने का दर्द झेल रहे शाजापुर जिले को संभालने के लिए उस विभाग के पास खुद का अधिकारी तक नहीं है जिस विभाग के मंत्री को प्रदेश सरकार ने शाजापुर जिले का प्रभार सौंपा है…।

“अजब शाजापुर की गजब कहानी” में आज का ज्वलंत मुद्दा जिला मुख्यालय स्थित उस खाद्य प्रसंस्करण एवं औषधि विभाग से जुड़ा है, जिसके काम का दायरा वैसे तो बेहद व्यापक है और जो ना सिर्फ जनता के हित – अहित, लाभ – हानि, फायदे और नुकसान तक सीमित है बल्कि सीधे-तौर पर लोगों की अनमोल जिंदगी और सेहत के प्रति भी बेहद जवाबदेह और जिम्मेदार है….। बावजूद इसके इस विभाग को अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए एक व्यवस्थित मुखिया तक जिले में नसीब नहीं हो पा रहा है। जिस कारण पूरे जिले के हालात वर्तमान में चिंताजनक बनते नजर आने लगे हैं…। यह हालात उस स्थिति में और भी अत्यंत आश्चर्यजनक और विचारणीय है जबकि इसी शाजापुर जिले के प्रभारी मंत्री का दायित्व मध्य प्रदेश शासन ने प्रदेश के खाद्य एवं प्रसंस्करण विभाग के मंत्री नारायणसिंह कुशवाह को ही सौंप दिया है…। बीते लंबे अरसे से ही स्टाॅफ की कमीं से जूझ रहे इस विभाग के मुख्य अधिकारी का दायित्व भी वर्तमान में राजगढ़ जिले के अधिकारी को प्रदान किया जा चुका है जो प्रभारी अधिकारी के रूप में शाजापुर के खाद्य एवं प्रसंस्करण औषधि विभाग अधिकारी की भूमिका निभा रहे हैं…। अब विडंबना यह है कि उक्त अधिकारी महोदय को राजगढ़ जिले का मुख्य अधिकारी होने के कारण अपनी प्राथमिक ड्यूटी राजगढ़ जिले में ही देना पढ़ती है ऐसे में शाजापुर जिला विभागीय दृष्टि से पूरी तरह अनाथ और लावारिस की श्रेणी में आ चुका है…। यानी कि विभाग से संबंधित कोई भी काम या फिर किसी भी तरह की वैधानिक कार्रवाई के लिए शाजापुर जिले के पास खुद का कोई अधिकारी ही उपलब्ध नहीं है और शाजापुर जिले को पूरी तरह राजगढ़ के निर्णय पर आश्रित होना पड़ रहा है…। अत्यंत संवेदनशील और सदैव अलर्ट रहने वाले विभाग में जिला मुख्यालय पर जिम्मेदार अधिकारी की इस प्रकार गैर मौजूदगी के चलते मिलावटखोरों में किसी भी तरह की ठोस कार्यवाही का भय समाप्त हो चुका है…। जिसके दुष्परिणाम यह है कि बाजारों में आज खुलेआम मिलावटी खाद्य सामग्रियां, दूषित खाद्य पदार्थ, एक्सपायरी डेट के सामान, सड़े-गले फल/सब्जियां और सीधे तौर पर जन स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली वस्तुएं धड़ल्ले और बेखौफ तरीके से व्यापारियों/कारोबारियों द्वारा विक्रय की जा रही है। इतना ही नहीं नियमों को ताक पर रखकर खाने – पीने की वस्तुओं में खुले रूप से मिलावट करके खाद्य सामग्रियों को बेहद जहरीला और जानलेवा तक बनाया जा रहा है…। जिले में कहीं अशुद्ध और नकली घी का कारोबार अबाध गति से फल – फूल रहा है तो कहीं खाद्य तेल और मसालों में खुली मिलावट करके मिलावट खोरों द्वारा जन स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है…। होटलों और रेस्टोरेंट में हालात और भी दयनीय व चिंतनीय है जहां एक/दो दिन नहीं बल्कि हफ्तों पुरानी खाद्य सामग्रियों को जनता का निवाला बनाकर गल्ला भरा जा रहा है। जिसकी भागीदारी वक्त/बेवक्त किश्तों के रूप में उन हाथों तक भी पहुंच जाती है जो लक्ष्मी दर्शन के चक्कर में अपनी भूमिका निभाने में शिथिलता अपनाते हैं…। गंभीर हालातों के बीच जिले का प्रभार उस विभाग के मंत्री को मिलना जिस विभाग के पास खुद का अधिकारी तक नहीं है हास्यास्पद भी है…, विचारणीय भी है…, चिंतनीय भी है… और इस समस्या के उचित व ठोस हल के प्रति एक उम्मीद की किरण भी है…। अब बस देखना ये बाकि है कि मंत्री जी के प्रभार वाले शाजापुर जिले में उनके विभाग की कमान संभालने के लिए कोई जिम्मेदार अधिकारी मिलता है या फिर प्रभारी अधिकारी के भरोसे ही तमाम कागजी खानापूर्ति होती है…।

Nahar Times News

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